नगर निगम एक तरफ पैसे की तंगी से जूझ रहा है, लेकिन दूसरी तरफ 17 करोड़ रुपये कूड़ा निस्तारण के सिस्टम पर निगरानी के नाम पर खर्च कर दिए गए। हैरतअंगेज पहलू ये है कि इसके बाद भी न तो सफाई व्यवस्था पर निगरानी ही रखी जा सकी है और न ही डीजल की चोरी पर प्रभावी रोक लग सकी है। स्मार्ट निगरानी के नाम पर अनाप शनाप तरीके से कई गुना दाम पर महंगा सामान खरीदने का आरोप भी नगर निगम पर लग रहा है।
नगर निगम की अंधेरगर्दी: 17 करोड़ स्मार्ट बनने पर खर्च, निगरानी फिर भी फेल
• Anurag Mishra